भारतीय संविधान में 5वीं और 6ठी दो ऐसी अनुसूचियां हैं जिनका सीधा संबंध आदिवासियों के परंपरागत स्वशासन से है। हमारे संविधान निर्माताओं ने इन अनुसूचियों के द्वारा न केवल आदिवासी स्वशासन को स्वीकार्य किया है बल्कि यह संकल्प भी लिया है कि आदिवासियों की रूढ़िगत प्रथाओं की रक्षा के संवैधानिक दायित्व से भारतीय गणराज्य कभी भी पीछे नहीं हटेगा। परंतु यह सच्चाई है कि इस संवैधानिक कर्तव्य का निर्वाह करने में भारतीय सरकारें अब तक विफल रही हैं। इस सरकारी विफलता की अभिव्यक्ति हम उन आदिवासी आंदोलनों में स्पष्टतः देख सकते हैं जिनसे निपटने के लिए भारतीय सत्ता पिछले सत्तर सालों से सैन्य बल का सहारा लेती रही है।