हम थे, हम हैं, और हम रहेंगे (We were, we are, and we will be)

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बाहरी घुसपैठियों और आक्रमणकारियों से दुनिया भर के आदिवासी पिछली कई सदियों से लड़ रहे हैं। अपने लिए नहीं, बल्कि पृथ्वी ग्रह और इस पर जी रहे सभी जीव-जगत के लिए। भारत में यह युद्ध लगभग 5 हजार सालों से अनवरत जारी है। आदिवासी दिवस पर हम इसी परिप्रेक्ष्य में गीतों, कविताओं, कहानियों और ज्वलंत मुद्दों के जरिए बात करेंगे।

  • उद्घाटन वक्तव्य
  • गीत-कविता सत्र: 30 मिनट
  • कहानी सत्र: 30 मिनट
  • विमर्श सत्र: 50 मिनट
  • आभार वक्तव्य
  • मॉडरेटर: ए, बी और सी

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